हनुमान जी के माता – पिता का संक्षिप्त परिचय
हनुमान जी के माता – पिता का संक्षिप्त परिचय
हनुमान जी की माता - अंजना
हनुमान जी की माता थी अंजना। वह वानर राजा केसरी की पत्नी थी।
पुंजिक थला नाम की एक अप्सरा थी जो इंद्र के दरबार में नृत्य किया करती थी यह वही अप्सरा थी जो समुद्र मंथन के समय में निकली थी उस समय तीन अप्सराएं निकली थी उनमें से पुंजिक थला भी एक अप्सरा पुंजत्थला एक बार धरती लोक में आई और उन्होंने महा ऋषि दुर्वासा जो एक ऋषि थे और वह तपस्या कर रहे थे वह एक नदी के किनारे बैठे हुए थे और ध्यान मुद्रा में थे पुंजत्थल ने उन पर बार-बार पानी फेंका जिससे उनकी तपस्या भंग हो गई और तब उन्होंने पुंजिक थला को श्राप दे दिया कि तुम इसी समय वानरी हो जाओ और पुंजिक थला उसी समय वानरी बन गई और पेड़ों पर इधर उधर घूमने लगी देवताओं के बहुत विनती करने के बाद ऋषि ने उन्हें बताया की इनका दूसरा जन्म होगा और तुम वानरी ही रहोगी लेकिन अपनी इच्छा के अनुसार तुम अपना रूप बदल सकोगी। तभी केसरी सिंह नाम के एक राजा वहां पर एक मृग का शिकार करते हुए आए वह मृग घायल था और वह ऋषि के आश्रम में छुप गया ऋषि ने राजा केसरी से कहा कि तुम मेरे आश्रम से इसी समय अतिशीघ्र चले जाओ नहीं तो मैं तुम्हें श्राप दे दूंगा यह सुनकर केशरी हसने लगे और बोले मैं किसी श्राप को नहीं मानता हूं क्रोध में आकर ऋषि ने उन्हें भी श्राप दे दिया और कहा कि तुम भी बांदर हो जाओ फिर उधर पुंजिक थला वह भी बांदरी थी इन दोनों ने भगवान शिव की तपस्या की भगवान शिव ने इन्हें वरदान दिया कि तुम अगले जन्म में वानर के रूप में ही जन्म लोगे लेकिन तुम लोग इच्छा के अनुसार अपना रूप बदल सकोगे इसके बाद उन्होंने यह भी कहा कि तुम दोनों को एक पुत्र होगा जो बहुत तेजस्वी और बहुत पराक्रमी होगा जिनका नाम युगों युगों तक लिया जाएगा फिर उन दोनों वानरों का शरीर वही पर त्याग कर वह दोनों अलग-अलग रूप में अलग अलग राज्य में जन्म लिए जिसमें केसरी वासुकी नाम के एक राजा के यहां जन्म लिए वह वानरों के राजा थे और पुंज थला पुरू देश के राजा पुंजर के यहां जन्मी ऐसा पुराणों में लिखा मिलता है और फिर धीरे-धीरे दोनों बड़े हुए और फिर महाराज पुंजर ने अपनी बेटी अंजना का विवाह महाराज वासुकी के पुत्र केसरी से किया कुछ दिनों के उपरांत उन्हें एक पुत्र हुआ जिसका नाम बजरंगबली हनुमान केसरी नंदन आदि नामों से जाना जाता है उन्हें पवन पुत्र भी कहा जाता है क्योंकि हनुमान जी के पालनहार वायु देवता ही हैं उन्होंने हनुमान जी को जन्म से लेकर हमेशा उनका साथ दिया है और हर वक्त पर मिले हैं और उनका पालन पोषण भी वायु देवता के निकट ही हुआ है इसलिए उनको पवन पुत्र भी कहा जाता
हनुमान के पिता – श्री केसरी
हनुमान के पिता का नाम केसरी था जो वानरो के सम्राट थे। अंजना केसरी की पत्नी थी।
भगवान हनुमान वानर राज केसरी तथा अंजना के पुत्र थे हनुमान जी की माता अंजना वास्तव मैं स्वर्ग की अप्सरा थी जिन्होंने शाप के कारण मानव योनि में जन्म लिया था हनुमान जी के पिता केसरी देवताओं के गुरु बृहस्पति के पुत्र थे वानर राज केसरी के 6 पुत्र थे। केसरी के सबसे बड़े पुत्र का नाम हनुमान है। हनुमान जी के अन्य पांच भाईयों के नाम क्रमश: इस प्रकार हैं- मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान, धृतिमान।