Golden Temple History in Hindi, Harmandir Sahib History
श्री हरमंदिर साहिब जिसे दरबार साहिब या स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है ये सिख धर्म के लोगो का सबसे प्रमुख गुरुद्वारा या पावन स्थल है ये भारत के राज्य पंजाब के अमृतसर में स्तिथ है और अमृतसर का सबसे बड़ा आकर्षण है पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ बसा हुआ है|
स्वर्ण मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु और पर्यटक आते है अमृतसर का नाम वास्तव में उस सरोवर पर रखा गया है जिसका निर्माण सिख धर्म के चौथे गुरु …. गुरु रामदास जी ने स्वयं अपने हाथों से किया था ये गुरुद्वारा इसी सरोवर के बीचों बीच स्तिथ है इस गुरूद्वारे का बाहरी हिस्सा सोने का बना हुआ है इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर या गोल्डन टेम्पल के नाम से भी जाना जाता है यु तो ये सिखों का गुरुद्वारा है लेकिन इसके नाम में मंदिर शब्द का जुड़ना ये स्पष्ट करता है की भारत में सभी धर्म को एक समान माना जाता है|
Harmandir sahib Ke Sansthapak Kaun Tha
इतना ही नहीं हरमंदिर साहिब यानि गोल्डन टेम्पल की नींव भी एक मुसलमान ने ही रखी थी इतिहास के मुताबिक सिखों के पांचवे गुरु, गुरु अर्जुन देव जी ने लाहौर के एक सूफी संत मियां मिरी जी से दिसम्बर 1577 में गुरुद्वारे की नींव रखवाई थी | श्री हरमंदिर साहिब मंदिर का निर्माण 1581 में आरम्भ हुआ था और ये 1604 में बनकर तैयार हो गया लगभग 416 साल पुराने इस गुरूद्वारे का नक्शा खुद गुरु अर्जुन देव जी ने तैयार किया था ये गुरुद्वारा शिल्प सौंदर्य की एक अनोखी मिसाल है इसके नक्काशी और बाहरी सुंदरता देखके ही मन मोहित हो जाता है|
गुरूद्वारे के चारो ओर दरवाजे है जो चारो दिशाओं पूर्व पश्चिम उत्तर और दक्षिण में खुलते है, उस समय भी समाज चार जातियों में विभाजित था और कई जातियों के लोगो को अनेक मंदिरों में जाने की इजाज़त नहीं थी लकिन इस गुरुद्वारे के चारों दरवाजे उन चारों जातियों के लोगो को यहाँ आने के लिए आमंत्रित करते है यहाँ हर धर्म के लोगो का स्वागत किया जाता है|
स्वर्ण मंदिर को कई बार नष्ट किया जा चूका है लेकिन भक्ति और आस्था के कारण सिखों ने इसे दुबारा बना दिया | इसे दोबारा सत्रहवीं शताब्दी में महाराज सरदार जस्सा सिंह अहलुवालिया द्वारा बनवाया गया |जितनी बार भी इसे नष्ट किया गया और जितनी बार भी इसे बनाया गया उसकी हर घटना को मंदिर में दर्शाया गया है|
अफगान हमलावरों ने उन्नसवीं सदी में इसे पूरी तरह नष्ट कर दिया था, तब महाराज रणजीत सिंह जी ने इसे दोबारा बनवाया और इसे सोने की परत से सजा दिया कहा जाता है कि मंदिर को सोने की परत से ढकने के लिए करीब 750 किलो सोने का इस्तेमाल किया गया था| सोने की परत चढ़ाने के बाद इस मंदिर की प्रसिद्धि को चार चांद लग गए|
हरमंदिर साहिब मंदिर में बने चार मुख्य द्वार सिखो के दूसरे धर्मो के प्रति सोच को दर्शाते है| उन चार दरवाजों का मतलब है कि कोई भी और किसी भी धर्म का इंसान गुरूद्वारे में आ सकता है वर्तमान में करीबन 125000 से भी ज्यादा लोग भक्ति और आराधना के उदेस्य से गोल्डन टेम्पल में आते है और सिख गुरूद्वारे के मुख्य प्रसाद लंगर को ग्रहण करते है|
सिखो के अलावा भी यहाँ बहुत से श्रद्धालु आते है जिनकी स्वर्ण मंदिर में अटूट आस्था है स्वर्ण मंदिर में आने वाले लोगो के लिए खाने पीने की पूरी व्यवस्था होती है यहाँ पर स्वधालुओ के लिए 24 घंटे लंगर खुला रहता है खाने पीने की व्यवस्था गुरूद्वारे में आने वाले चढ़ावे और दूसरे अन्य स्रोतों के रूप से होती है अनुमान है की यहाँ प्रतिदिन 40000 लोग लंगर का प्रसाद ग्रहण करते है|
सिर्फ भोजन ही नहीं यहाँ श्री गुरु राम दास सराय में गुरुद्वारे में आने वाले लोगो के लिए ठहरने के लिए की व्यवस्था भी है इस सराय का निर्माण 1784 में किया गया था यहाँ 228 कमरे और 18 बड़े हॉल है यहाँ पर रात गुजारने के लिए गद्दे और चादर दी जाती है यहाँ एक व्यक्ति की 3 दिन तक ठहरने की पूर्ण व्यवस्था है|
अमृतसर में स्थित गोल्डन टेम्पल में आने वाले हर श्रद्धालुओं को यहां के कुछ नियमों का पालन करना होता है, जो कि इस प्रकार हैं-
पंजाब में स्थित स्वर्ण मंदिर वायु, सड़क एवं रेल तीनों मार्गों द्धारा पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से अमृतसर करीब 500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दिल्ली से अमृतसर पहुंचने में ट्रेन या फिर बस से जाने में करीब 9 घंटे का समय लगता है।
वहीं दिल्ली से अमृतसर पहुंचने के लिए कई ट्रेने और बसें चलती हैं। इसके अलावा अमृतसर के लिए भारत के सभी प्रमुख शहरों से भी काफी अच्छी बस सुविधा भी उपलब्ध है।